💥'गोलमाल हैं...भाई सब गोलमाल हैं..कई सालों से इस शहर का बडा ही बुरा हाल हैं...!


☀️बेवकूफ बेईमान गधो के सरपर यहा ताज और इमानदार शेरों का यहा बुरा हाल हैं☀️

✍️कविता - चौधरी दिनेश (रणजीत)

 'गोलमाल हैं...भाई सब गोलमाल हैं..कई सालों से इस शहर का बडा ही बुरा हाल हैं...शहर के विकास के नाम पर बहती सरकारी धन की गंगा में चोर उचक्के यहा मालामाल हैं...भाई सब गोलमाल हैं...भाई सब गोलमाल है....दाल में कुछ काला ही नही भाई यहा तो पुरी काली दाल हैं हर जगह यहा भौकाल हैं...भाई सब गोलमाल हैं...भाई सब गोलमाल हैं...सरकारी धन संपत्ती की जगह जगह लुटमार हैं...भाई सब गोलमाल हैं....बेवकूफ बेईमान गधो के सरपर यहा ताज और इमानदार शेरों का यहा बुरा हाल हैं...गोलमाल हैं भाई सब गोलमाल हैं...चमचागीरी करणेवाले इन्सानी भेस मे छुपे बांदरो का पिछवाडा यहा लालमलाल हैं...गोलमाल हैं भाई सब गोलमाल हैं...हर भ्रष्ट बेईमान चोर नामर्द बेईमान दलालों की यहा कुलटाए बनी ढाल हैं...सब गोलमाल हैं भाई सब गोलमाल हैं...बेईमान माफीया भ्रष्ट नेताओं के समर्थन में दलाल कलमकुत्तो की तेडी दुम बनी सब सें बडा सवाल हैं...गोलमाल हैं भाई सब गोलमाल हैं....गोलमाल हैं भाई सब गोलमाल हैं...गोलमाल हैं भाई सब गोलमाल हैं....😅

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