🌟सचखंड गुरुद्वारा बोर्ड सिखों का सर्वोच्च धार्मिक स्थान होणे के कारण सरकार इस में हस्तक्षेप करणा बंद करे - स.मनबीरसिंघ ग्रंथी


🌟महाराष्ट्र सरकार गुरुद्वारा बोर्ड अध्यक्ष का चुनाव करणे का सर्वोच्च अधिकार स्थानिय सिख समुदाय को बहाल करे🌟

सचखंड गुरुद्वारा बोर्ड अध्यक्ष चुनने का सर्वाधिकार स्थानिक सिख समाज का है मगर महाराष्ट्र सरकार कलम ११ में संशोधन के नामपर और भाटीया आयोग के गठन के नामपर स्थानिक सिख समाज सें यह अधिकार छिनकर लोकतंत्र की हत्या कर रही हैं संत महंतो की पवित्र धरती कहलानेवाले महाराष्ट्र के मराठवाडा क्षेत्र स्थित गोदावरी नहर के किनारे बसे नांदेड की धरती दशमेशपिता साहेब श्री गुरू गोबिंदसिंघ जी महाराज के पावन चरणकमलो से पवित्र हुई धरती मानी जाती हैं यहाँ पर सिखों के पांच सर्वोच्च तख्तो में एक पवित्र तख्त सचखंड श्री हुजूर अबचल नगर साहेब गुरुद्वारा हैं जीसे सिखों की दक्षिण काशी के तौरपर जाना जाता है.


मगर दुर्भाग्य की बात यह है के पिछले तकरीबन आठ सालों से महाराष्ट्र सरकार सिखों के इस पवित्र सचखंड गुरुद्वारा बोर्ड में हस्तक्षेप करके सिखों के धार्मिक अधिकारों का हनन कर रहीं हैं तत्कालीन सरकार द्वारा सचखंड गुरुद्वारा बोर्ड द्वारा कोई भी ठराव ना लेणे के बावजूद एवंम पंच प्यारे साहीबान द्वारा किसी प्रकार की मांग ना होणे पर भी इस पवित्र संस्था में हस्तक्षेप करणे की निय्यत से सरकार द्वारा भाटिया समिती गठीत की जा रही यह स्थानिक सिख समाज पर अन्याय ही नहीं बल्की इसे सरकार द्वारा की गई लोकतंत्र की निर्मम हत्या भी कहा जाना चाहिए यह बात हमारे संवाददाता से किये गए बातचीत में सिख समाजसेवी एवंम बाबा फतेहसिंघजी बहुउद्देशीय सेवाभावी संस्था के संस्थापक अध्यक्ष सरदार मनबीरसिंघ ग्रंथी द्वारा कही गई आगे आपणें विचार प्रगट करते हुए उन्होंने यह भी कहा के पिछले आठ साल पूर्व सन २०१६ से तत्कालीन भाजप शासीत सरकारने गुरुद्वारा बोर्ड अध्यक्ष चुनने का जो १७ सदस्यों का लोकतांत्रिक अधिकार था वह अधिकार तत्कालीन सरकारने जानबुझकर कलम ११ में संशोधन करके वह सिखों से छिनकर अध्यक्ष चुनने का अधिकार महाराष्ट्र सरकार द्वारा जानबुझकर आपने पास रखणे के कारण स्थानीय सिख समुदाय मे सरकार के इस तानाशाही फैसले के खिलाफ काफी रोष है सरकार के इस मनमानी फैसले के खिलाफ उस वक्त से आजतक लगातार स्थानिक सिख समुदाय द्वारा आंदोलन,आमरण अनशन एवंम प्रदर्शन किया जारहा है मगर सिखों को कलम ११ में किया गया संशोधन रद्द करणे के सरकार द्वारा बार बार सिर्फ झुठे वादे किये जारहे हैं निजामकालीन रजाकारी जुलमीराज मे इसी तरह स्थानिक सिखो पर हउक्मरआनओं द्वारा आपणी मनमानीया चलाई गई सिखों के धार्मिक अधिकारों का हनन किया गया उस वक्त पंजाब से स्थानिक सिख समुदाय को संदेश भेजा गया था गुरुघरों को ताले मारकर मनमाड तक आ जाओं मगर उस वक्त स्थानिक सिख समुदाय के वरिष्ठ पुर्वजों द्वारा आपने जान की बाजी लगाकर गुरुघर की मर्यादा एवंम पवित्रता और स्वतंत्रता को बचाया गया मगर इस संघर्ष में स्थानिक सिख समुदाय को मुंबई,पुणे,नागपुर,औरंगाबाद के सिख समुदाय के लोंगो का किसी प्रकार का सहयोग प्राप्त नही हुवा था ऐसा भी सरदार मनबीरसिंघ ग्रंथी द्वारा कहा गया इस वक्त उन्होंने आगे कहा के महाराष्ट्र सरकार भाटिया आयोग एवंम कलम ११ में किया गया संशोधन तत्काल रद्द करें और सचखंड गुरुद्वारा बोर्ड में स्थानिक सदस्यों की संख्या तिन से बढाकर ०७ याफीर ०९ करें और गुरुद्वारा बोर्ड के चुनाव घोषित कर अध्यक्ष का चुनाव करणे का सर्वोच्च अधिकार स्थानिय सिख समुदाय को बहाल करे ऐसाभी सरदार मनबीरसिंघ ग्रंथी द्वारा कहा गया.....

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