🌟किसी सच्चे गुरसिख परिवार में जनम लेणा यह बहोत बडे सौभाग्य की बात होती हैं.....!

 


🌟सिखो का द्वेष करणा उनके खिलाफ जहर उगलना यह मेरी नजरो अहसान फरामोशी अर्थात नमक हरामी ही हैं🌟

 वाहेगुरूजी का खालसा,

वाहेगुरूजी की फतेह जी "

किसी सच्चे गुरसिख परिवार में जनम लेणा यह बहोत बडे सौभाग्य की बात होती हैं मगर यह सौभाग्य बहोत ही कम लोगों को प्राप्त होता हैं त्याग बलिदान और सेवाभाव यह साधारण व्यक्ती का काम नहीं परमपीता परमात्माने सिखों के जैसा जिगर किसी को नही दिया इन्सान और इन्सानीयत के लिए हर मैदान फतेह करणेवाली खालसारूपी जाँबाज फौज दसमपीताने इस देश को प्रदान की हैं मेरे दसमपीता साहीब श्री गुरु गोबिंदसिंघ साहीबजीने जीस धरम को बचाने के लिए आपणा परिवार कुर्बान किया उस हिंदु धरम में जनम लेकरभी गुरसिखी सें बेईमानी करके आपणे अहसान फरामोश होणे का सुबूत देणा यह मेरे दिल को कभीभी गवारा नहीं देता क्यो के जो इन्सान आपणे इमान धरम का पक्का होता होता हैं वह हमेशा आपणी रक्षा करणेवाले महावीर योध्दाओं आपणे गुरुओं का सन्मान करके उन के सामने नतमस्तक होता हैं.मैं दुर्भाग्य सें भले ही गैरसिख परिवार में पैदा हुवा हूँ मगर हमेशा हीं धन साहीब श्री गुरु ग्रंथ साहीबजी एवंम दसगुरू साहीबान के आगे नतमस्तक होकर गुरसिखों का दिल सें जिवनभर आदर सन्मान करता आया हूँ क्यों के मुझे पता हैं मेरे धरम को बचाने के लिए दसमपीता साहीब श्री गुरू गोबिंदसिंघ साहीबजीने आपणा समुचा परिवार कुर्बान दिया इतना हीं नहीं अनगीनत सिख योध्दाओंने हमारे धरम स्वाभिमान और इज्जत को बचाने के लिए हसते हसते आपणा बलिदान दिया हैं फिरभी कुछ लोग गुरसिखी की अहमीयत को समझ नहीं पायें यह उनकी अज्ञानता याफीर गुरसिखी के प्रती अहसान फरामोशी याने बेईमानी हैं ऐसा मुझे लगता हैं.

मेरी नजरों में दुनीयाँ में सिख धरम एवंम खालसा पंथ सबसे अलग और एकमात्र ऐसा सर्वश्रेष्ठ एवंम सच्चा धरम हैं जीस धरम सें जुडे निस्वार्थ त्यागी एवंम बलिदानी महान विर योध्दाओंने बतौर इन्सानीयत के नाते हम गैर सिखों के लियें आपणे बंद बंद कटवायें त्याग बलिदान और सेवाभाव यदी दुनीयाँ में किसी के अंदर दिखाई देता हैं तो वह पुर्णरूप खालसा यानी सिखों में दिखाई देता हैं ऐसे महान धरम पर यदीं कोई उंगली उठाता हैं याफीर गलत टिप्पणी करता हैं तो वह मुझे आसमान पर थुंकने की कोशीष करणेवाला महामुर्ख इन्सान दिखाई देता हैं सन १९७८ से १९९० तक का दौर यदी याद किया जाय तो दिल लहूलूहाण हो जाता हैं इस दौर में लाखों निरपराध सिख युवाओं को झुठी मुठभेडों में सरकारी दहशतगर्दोने मौत के घाट उतारा इतना ही नही सन १९८४ मे अकाल तखत पर हमला करके हजारों निर्दोष तिर्थयात्री एवंम दर्शनार्थीयों का कतलेआम किया गया इस घटना के बाद ३१ अक्तुंबर १९८४ में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कतल के बाद देश की राजधानी जहापर हमारे सच्चे राष्ट्रपीता श्री गुरु तेगबहाद्दर साहीबजीने हिंदू धरम बचाने के लिए आपणा बलिदान दिया था उस पवित्र दिल्ली की धरती को बेईमान राजनैतिक दहशतगर्दोने हजारो निर्दोष सिखों को बडे ही बेरहमी सें मौत के घाट उतारकर कलंकीत कर हैवानीयत का परिचय दिया इस घटनाने भारतीय लोकतंत्र को समुचे विश्व में कलंकीत किया यह सब बताने का तात्पर्य यहीं हैं के गुरसिखी की महानता एवंम उपकारों का बदला हम सहीं मायनों में सोचे तो हमारी सात पिढीयों तक चुका नहीं सकते मगर चारसों साल मुगलों की और दोसों साल अंग्रेजों की गुलामीने मानों हमारा जमीर मार दिया हों इसी कारण हम मारणेवालों के सामने गुलामों की भांती झुकते हैं और बचानेवालों के सामने आपणी आस्तीने उठाकर आपणी नमक हरामीयत अर्थात बेईमानी का सबूत पेश करते हैं यहीं हमारी फितरत हैं यदी इस देश में गुरसिख ना होते तो इस देश की अवस्था अफगानीस्तान/पाकीस्तान/बांगलादेश से बत्तर हो चुकी होती फिरभी हम आज तकभी गुरसिखी की महानता को समझ नही पायें इतनी मुर्खता और बेईमानी हमारे अंदर भरी हुई हैं दुनीयाँ में सिख धरम एकमात्र ऐसा धरम हैं जीस धरम का पवित्र धर्मग्रंथ धन गुरू ग्रंथ साहीबजी में गैरसिख संत महात्माओं के विचारों को आदरता पुर्वक सन्मान दिया गया हैं मगर फिर भी हमारी अज्ञानता एवंम हमारे अहंकार के कारण हम गुरसिखी एवंम धन गुरु ग्रंथ साहीबजी को आदर सन्मान देणे की बजाय बार बार अपमानीत करणे का महा भयंकर पाप कर रहें हैं.

सिख धरम दुनीयाँ का ऐसा एकमात्र धरम हैं जीस धरम में अनगीनत महावीर योध्दाओंने जनम लिया अनगीनत योध्दाओं ने इन्सानीयत एवंम देश की खातीर आपणा बलिदान दिया मगर फिरभी चट्टान की तरह मजबूत खडा हैं इस के बावजूद यदी कोई गुरसिखी की महानता पर प्रश्नचिन्ह खडा करता हो याफीर इस धरम के खिलाफ गलत टिप्पणी करता होतो मुझे लगता हैं जीस तरह बब्बर शेरो को देखकर लोमडीयों के दिलों में घृणा पैदा होती हैं ऐसी ही अवस्था सिख विरोधी तत्वो की हो चुकी हैं किसी खालसा स्वरूप गुरसिख को देखकर यदी कोई इन्सानी भेस मे छुपा दरिंदा उसे आतंकवादी कहकर जहर उगलता हैं तो मानों दिल लहुलूहान हो जाता हैं.हाल ही में उत्तराखंड में एक बेवकूफ पुलीस अधिकारीद्वारा एक बुलटपर लगा महान गायक सिध्दु मुसेवाला का स्टिकर देखकर बिना सोचे समझे उसे आतंकवादी कहना यह सिखो के प्रती नफरत के अंधकार में जहर उगलनेवाली बात ही कही जानी चाहीए इसी प्रकार आजकल गुरसिखी की महानता को जाने बगैर सिखी स्वरूप धारण करके गुरसिखों को ललकारणेवाली घटनायें भी घटीत हो रहीं हैं यह बहोत ही दुर्भाग्यपुर्ण हैं जीन सिखों के पुरखोंने आपणा बलिदान देकर मानवता की रक्षा की उन के त्याग और बलिदान को भुलाकर उन्ही को ललकारणा और विवाद खडा करके सिखी को बदणाम करणा यह बहोत बडी निचता हैं एक सच्चा गुरसिख बनने के लियें सिर्फ अमृतपाण करणा काफी नही बलकी एक सच्चा गुरसिख बनने के लियें बहोत बडा त्याग करणा पडता हैं ऐसा मुझे लगता हैं.गुरसिखी की मर्यादाओं का दिल सें पालन करणा हर किसी के बस की बात नहीं धन दसमपीता गुरू गोबिंदसिंघ साहीबजीने कहा था 'खालसा मेरों रुप हैं खास...खालसे में तुम करो निवास' जबभी किसी संपूर्ण खालसा रुप गुरसिख को हम देखते हैं आपणेआप हमारे दिल में आदरभाव निर्माण हो जाता हैं.

खालसा पंथ की स्थापना दसमपीता साहीब श्री गुरु गोबिन्द सिंहजी साहीबने १६९९ को बैसाखी वाले दिन आनंदपुर साहिब में की। इस दिन उन्होंने सर्वप्रथम पाँच प्यारों को अमृतपान करवा कर खालसा बनाया और उन्हीं पंचप्यारों को सर्वोच्च स्थान देकर के हाथों से स्वयं भी अमृतपान किया धन दसमपीता साहीब द्वारा सजाया गया खालसा रुप एक ऐसा पवित्र रुप हैं जीस के बारे में गलत बोलना तो क्या गलत सोचनाभी हमारी नजरों में पाप हैं मगर क्या करें यहा आसमान में थुकने की मुर्खता करणेवालों की कमी नहीं हैं जीस का उदाहरण सोशल मिडिया पर लगातार देखने को मिल रहा हैं गुरसिखी को जानबुझकर बदणाम करणे की कोशीषे हो रही हैं सदियों सें जीन गुरसिखोंने आपणे त्याग बलिदान और सेवाभाव सें गुरसिखी की महानता को संभाले रखा हैं उस महानता पर गर्व महसूस करणे की बजाय उन्हे बदणाम करणा उनका द्वेष करणा और उन के खिलाफ जहर उगलना यह मेरी नजरो अहसान फरामोशी अर्थात नमक हरामी ही हैं ऐसा मैं मानता हूँ.......


धन गुरसिखी.....

✍🏻 मेरी कलम सें.... : चौधरी दिनेश (रणजीत)



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