" डर तो जरुरी हैं..दोस्तों मगर आपणे खुदा सें,इन्सानी भेस में छुपे शैतानों से नही "


☀️धनदौलत के अहंकार में इन्सान और इन्सानीयत को ठोकर मारणेवाला....

✍🏻- चौधरी दिनेश (रणजीत)

मजलुम बेबस लाचार इन्सानों को डरानेवाले इन्सानी भेस में छुपे शैतान कोभी एक दिन डरनाही पडता हैं..!

बेवजह हर किसी कमजोर को मारणेवालों कोभी एकदीन दहशत और खौफ की जिंदगी जीते जीते मरनाही पडता हैं..!!

धनदौलत के अहंकार में इन्सान और इन्सानीयत को ठोकर मारणेवाला चाहे अहंकारी रावनही क्यों नाहो उसे आपणी सोने की लंका को आपणी आखों के सामने जलते हुए देखनाही तो पडता हैं..!

डर तो जरुरी हैं..दोस्तों मगर आपणे खुदा सें इन्सानी भेस में छुपे शैतानों की शैतानीयतसे हर वक्त हर युग में लढणाही तो पडता हैं...!!


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